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अबकी बार 400 पार

पर कैसे ? बड़ा सवाल 


क्या है मुमकिन ? 

इस बार चुनावों में प्रधान मंत्री मोदी का कॉन्फिडेंस बीजेपी के सर चढ़ कर बोल रहा है, इसलिए उम्मीद लगाई जा रही है की कमजोर विपक्ष के चलते बीजेपी का गठबंधन 400 से अधिक सीट जीत सकता है. 
इतना कॉन्फिडेंस आया कहाँ से: क्या बीजेपी के सलाहकारों ने आज की सारी परिस्थितियों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिये जाना है, जिस तरह मौसम की जानकारी का अनुमान सूपर कम्प्यूटर से  लगाया जाता है उसी तर्ज पर टेक्नोलोजी  का प्रयोग करके ये जानकारी हासिल की है.
फिर लगातार हो रही चुनावी मंथन से भी व् हाल ही में हुए चुनावी रण में मिली जीत से बीजेपी के सलाहकारों ने ये अनुमान लगाया है. 

400 का आंकड़ा पार करना आसान नहीं होता, जब तक कोई बड़ी लहर न हो, पिछली बार राजीव गांधी ने 400 का आंकड़ा तब पार किया था जब भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी की हत्या के बाद भारत के सभी लोगों की सिम्पेथी कांग्रेस के साथ हो गई थी. 
इस बार वैसी लहर तो नहीं है, किन्तु विपक्ष के बटे होने के कारन वोट का शेयर बीजेपी के पक्ष में बनता दिख रहा है. यदि बीजेपी ने 30-35 % शेयर भी पकड़ के रखा तो बाकि के 40% में देश की सभी पार्टियां अपना अपना शेयर लेंगी, उनमें बहुत से ऐसे उम्मीदवार भी होंगें जो जीत कर बीजेपी के साथ हो लेंगे, 20-25% ऐसे वोटर होते हैं जो या तो वोट ही नहीं डालते या उनका वोट किसी भी कारण से नहीं डल पाता है. जैसा की हर बार ऐसी जगहों पर जहाँ पर वोट नहीं मिलने की सम्भावना लगती है उस एरिया के बहुत से वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिया जाता है.

BSP को ED/सीबीआई की कार्यवाही का डर  दिखा कर पहले ही पालतू बना लिया गया है, क्योकी BSP अकेले लड़ने की बात कर रही है जिसका सीधा मतलब SC वोट को सिर्फ वोट काटने के लिए प्रयोग किया जायेगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा  

अब जबकि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है तो फिर पोलिटिकल पार्टियां इससे दूर कैसे रह सकती हैं. बीजेपी वैसे भी भारत की सबसे बड़ी पार्टी होंने के साथ सबसे अधिक पैसे वाली पार्टी भी है, तो ये कहना मुमकिन है की इसने सॉफ्टवेयर की मदद से चुनाव के रिजल्ट का  काफी हद तक अनुमान लगा लिया है या फिर चंडीगढ़ मॉडल अपनाने की तैयारी है, कि इतनी मशीने हैक करेंगें, और इतना सरकारी तंत्र का प्रयोग कर के सीटें जीती जायेगीं, या कुछ और भी है जिसकी पर्देदारी है,  फिर इतना कॉन्फिडेंस कहाँ से आ रहा आ रहा है.