Header Ads Widget

Latest News

Hindi News 

बिहार में बीजेपी की बंपर जीत- 
इंडिया गठबंधन फुस्स (अपनी सीटें भी खोई )




243 सीटों वाली विधानसभा में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने लगभग 153 सीटें जीती और 

लगभग 49 सीटों पर आगे चल रही है।

महागठबंधन (MGB – विपक्षी गठबंधन) ने लगभग 22 सीटें जीती और लगभग 13 सीटों पर आगे 

चल रही है।

अन्य पार्टियों/स्वतंत्र अभ्यर्थियों ने लगभग 5 सीटें जीती और लगभग 1 सीट पर आगे चल रही है।

कुल विधानसभा सीटें: 243

मतदान प्रतिशत लगभग 67.1% रहा, जो बहुत ऊँचा है।


                                                               वीमेन लेदर बूट्स हील के साथ 




दिल्ली फिर बनी गैस चेम्बर कई स्थानों पर AQI 400 +


NB7 - इंडिया गेट नयी दिल्ली- दिल्ली में एयर पोल्यूशन के खिलाफ “I Can’t Breathe”

 और “I Miss Breathing” जैसे स्लोगन के साथ हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। 

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दिल्ली में स्मोग का असली कारण सिर्फ इंसानी नहीं बल्कि भौगोलिक है। ठंडी और नम हवा, यमुना की नमी, हिमालय और थार रेगिस्तान की स्थिति मिलकर हवा को फंसा देती है, जिससे प्रदूषण ऊपर नहीं उठ पाता। इंसानी गतिविधियाँ जैसे पराली, वाहनों का धुआं और धूल इसका असर और बढ़ा देती हैं। 


दिल्ली की हवा क्यों नहीं सुधरती? समस्या न गाड़ियों में है, न सिर्फ

 सरकारों में — असली हल वैज्ञानिक समझ में छिपा है


हर वर्ष सर्दी में दिल्ली का आसमान धुंध से ढक जाता है, AQI 400 के पार पहुंच जाता है और शहर “गैस चेंबर” बन जाता है।

लोग सड़कों पर उतरते हैं, स्लोगन गूंजते हैं — “I Can’t Breathe”, “Save My Lungs”

सरकारें भी “ऑड-ईवन”, “पुरानी कार बैन”, “धूल नियंत्रण” जैसे कदम उठाती हैं।

लेकिन सच्चाई यह है कि ये उपाय बीमार हवा के लक्षणों पर मरहम हैं, बीमारी की जड़ पर 
नहीं।





असली समस्या: वैज्ञानिक समझ की कमी

दिल्ली का प्रदूषण केवल वाहनों का धुआं या पराली का धुआं नहीं है, बल्कि यह भौगोलिक, 

मौसमीय और मानव-जनित कारकों का मिला-जुला प्रभाव है।

जानिए क्यों दिल्ली की हवा हर सर्दी में घुटती है और कैसे समाधान सिर्फ नारेबाजी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक समझ में छिपा है। ये सही है लोगों को अपने शहर के वातावरण के लिए जागरूक होना चाहिए किन्तु सिर्फ नारेबाजी से या सरकारों द्वारा लिए गए उलटे सीधे फैसले जैसे किसी एक कारण के रोकने से (कारों को 10 - 15 साल में ही बैन करना जबकि वो असली और एकमात्र विलेन नहीं होते ) नहीं होगा चाहे जिस पार्टी की सरकार हो जब तक इस समस्या की जड़ को नहीं समझा जायेगा तब तक दिल्ली की हवा ऐसे ही बनी रहेगी 

दिल्ली का स्थान उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में है —

दिल्ली के नजदीक उत्तर में 200 - 300 किलोमीटर दूर ठण्डे पहाड़ और  पश्चिम में  रेगिस्तान जैसे भू-

आकृतिक अवरोध, गंगा-यमुना जैसी नमी देने वाली नदियाँ, और ठंड के मौसम में लगभग स्थिर ( 

अत्यधिक माध्यम गति से चलने वाली हवाएं) , भारी, नम हवाएं - सभी मिलकर दिल्ली को एक “एयर 

ट्रैप जोन (Air Trap Zone)” बना देते हैं।

इस स्थिति में हवा ऊपर नहीं उठती और प्रदूषण नीचे फंस जाता है — जिसे वैज्ञानिक “थर्मल 

इनवर्ज़न” कहते हैं।






दिल्ली की कारें-गाड़ियां ( CNG /पेट्रोल ) असली विलेन नहीं

सरकारें अकसर सबसे आसान रास्ता चुनती हैंवाहनों को जिम्मेदार ठहरा देना।

केवल 10 या 15 साल पुरानी कारों पर बैन लगाना, या केवल BS-IV गाड़ियों को हटाना, कोई समाधान नहीं, बल्कि भ्रम है।

क्योंकि दिल्ली में कुल प्रदूषण का लगभग 30-35% ही वाहनों से आता है।

बाकी 70 % हिस्सा आता है — धूल, औद्योगिक धुआं, पराली, निर्माण कार्य और मौसमीय फंसे प्रदूषकों से।

पुराने वाहनों का योगदान सीमित है, लेकिन सड़कों  पर जाम और ट्रैफिक मैनेजमेंट की अव्यवस्था से 

प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है।


वैज्ञानिक नीति की जरूरत, न कि राजनीतिक बहस की

प्रदूषण का हल किसी एक पार्टी या नारे से नहीं निकल सकता।

जरूरत है — वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नीति निर्माण की।

पर्यावरण वैज्ञानिकों, मौसम विशेषज्ञों और शहरी योजनाकारों को नीति-निर्धारण में शामिल करने की।

दीर्घकालिक समाधान पर काम करने की — जैसे ग्रीन ज़ोन, हवा के प्रवाह के लिए खुले क्षेत्र, और धूल

नियंत्रण तकनीक।जनता में वैज्ञानिक सोच का विकास, ताकि लोग भावनाओं या प्रचार से नहीं, तथ्यों के

आधार पर निर्णय लें।

जनता की भूमिका — सिर्फ विरोध नहीं, समझ जरूरी

प्रदूषण से लड़ाई सिर्फ नारेबाजी से नहीं, साझेदारी से जीती जाएगी।

हर नागरिक को यह समझना होगा कि गाड़ियों, फैक्ट्रियों या सरकारों को दोष देने से पहले, हमें कारण की जड़ तक जाना होगा।

जब जनता वैज्ञानिक सोच के साथ निर्णय लेगी — तभी सही प्रतिनिधि और सही नीति चुनी जाएगी।





‎इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तकनीकी भंग : ‎ATC सिस्टम फेल 

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का पूरा  एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम ठप- साइबर अटैक या कुछ और ?




NB7-नई दिल्ली- मुख्य घटनाक्रम 

भारत के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (IGI) में गुरुवार शाम से तकनीकी गड़बड़ी शुरू हुई जिसमें मुख्यतः एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का सिस्टम प्रभावित हुआ। 

समस्या ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में सामने आई, जिससे फ्लाइट-प्लानिंग का आटोमेटिक डेटा कंट्रोल टावरों तक नहीं पहुँच पाया। 

इस कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मैन्युअल रूप से फ्लाइट प्लान प्रोसेस करना पड़ा, जिससे संचालन बेहद धीमा हो गया और शनिवार तक करीब 800 से अधिक फ्लाइटें प्रभावित हुईं। 

फिलहाल स्थिति सुधार की ओर है — लगभग 36 घंटे बाद कुछ सुधार दिखने लगे हैं, लेकिन कई यात्रियों को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी है।

क्या हुआ तकनीकी रूप से?

AMSS वह सिस्टम है जो एयर-लाइंस और ATC के बीच फ्लाइट प्लान, मौसम संबंधी जानकारी, मार्ग परिवर्तन आदि स्वचालित रूप से ट्रांसमिट करता है। 

इस सिस्टम के डाउन होने से कंट्रोलर्स को मैन्युअल तरीके से हर फ्लाइट के लिए डेटा कंपाइल करना पड़ा — एक बेहद समय-खपत प्रक्रिया। 

इसके ऊपर, कुछ स्रोतों ने बताया है कि यह सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि संभावित मालवेयर या सायबर-हैकर हमले की जाँच हो रही है। 

यात्रियों और एयरलाइंस का हाल

यात्रियों को लंबी कतारों, निरस्तांत जानकारी और हवाई अड्डे पर भूख-प्यास के साथ इंतजार करना पड़ा। “हवाईअड्डे का खाना तो अब ले नहीं सकते” जैसी शिकायतें सामने आईं।

कई एयरलाइंस ने यात्रियों को सलाह दी कि वे अपनी फ्लाइट स्थिति के लिए लगातार अपडेट देखें क्योंकि औसत देरी 50-55 मिनट तक पहुँच गई थी। 
The Times of India+1

बिलासपुर छत्तीसगढ़ में रेल हादसा :पैसेंजर EMU ट्रेन खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ी 


NB7-बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सोमवार शाम 4 बजे एक MEMU पैसेंजर ट्रैन ने सिग्नल को पार करते हुवे खड़ी मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी जिसकी वजह से EMU ट्रेन मालगाड़ी पर चढ़ गयी और एक बड़ा हादसा हो गया, इस एक्सीडेंट की ख़ास बात ये रही की इसमें EMU ट्रेन के लोकोपायलट ( ड्राइवर ) ने दिन दहाड़े 4 बजे भरपूर लापरवाही के चलते इस हादसे को अंजाम दे दिया और लगभग 8 लोगों की मौत हो गयी और सैकड़ों घायल हो गए.  

अभी विभागीय जांच चल रही है और ये पता लगाने की कोशिस की जा रही है की लोकोपायलट ने दिन के समय में ये गलती क्यों की, पहले सिग्नल को नजरअंदाज किया फिर सामने खड़ी मालगाड़ी को देखे बिना EMU (बिना इंजन के बिजली से चलने वाली लोकल पैसेंजर ट्रेन ) को मालगाड़ी से टकरा दिया।  

सरकार ने मरने वालों के परिवारों को 5 -5 लाख तथा गंभीर रूप से घायलों को 2 - 2 लाख रूपये का मुवावजा देने की घोषणा की है 







दिल्ली में कृत्रिम बारिश की कोशिस फेल, सरकारी खर्च लगभग 3 करोड़ व्यर्थ ! कहाँ हुई चूक ?




दिल्ली में क्लाउड-सीडलिंग का अभियान क्यों हुआ फेल 

Delhi में हाल-ही में सरकार ने एक बड़े सामाजिक-प्रदूषण अभियान के हिस्से के रूप में क्लाउड सीडलिंग यानी कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया।

इसके तहत IIT Kanpur ने विमान से फ्लेयर्स छोड़े जिनमें सिल्वर आयोडाइड एवं अन्य पदार्थ थे, बादल में छिड़काव किया गया ताकि बारिश हो सके और वायु प्रदूषण कम हो। 

लेकिन परिणाम विफल रहे: दिल्ली-एनसीआर में मापी गई बारिश नगण्य रही, और वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही। 

खर्च भी कम नहीं था: केवल कुछ परीक्षणों के लिए ही लगभग ₹1.2 करोड़ से लेकर ₹3.2 करोड़ तक खर्च किए गए।

राजनीतिक विवाद भी उठ गया: विरोधी दल ने इसे सार्वजनिक धन की बर्बादी कहा, जबकि सरकार ने इसे “अंतरिम सफलता” बताया।

अब सवाल उठता है — इतना खर्च कर के सरकार का अगला कदम क्या होगा?

सरकार को अब यह तय करना होगा कि क्या और अधिक क्लाउड सीडलिंग के प्रयोग किये जाएँ या अन्य उपाय अपनाये जाएँ।

साथ ही, इस प्रकार के प्रयोगों को सार्वजनिक विश्वास देने होंगे — क्योंकि वैज्ञानिकों ने पहले ही चेतावनी दी है कि क्लाउड सीडलिंग किसी भी मौसम-प्रदूषण समस्या का जादुई समाधान नहीं है।

आगे का अगला कदम हो सकता है: आधारित डेटा-संग्रह (भावी परीक्षणों के लिए वातावरण की स्थिति) करना, वायु प्रदूषण को जड़ से मिटाने वाले कदम (वाहनों, निर्माण, बैरिंग खेती) लेना, और जब-जब मौसम अनुकूल हो तब ही क्लाउड सीडलिंग करना।

क्लाउड सीडलिंग क्या है और कैसे काम करती है


बादल वे होते हैं जिनमें बहुत-सारे छोटे-छोटे पानी-बारीक कण (ड्रॉपलेट्स) या बर्फ के क्रिस्टल होते हैं, जो ठंडे होने पर संघनित होकर बरसात या बर्फ में परिवर्तित हो सकते हैं।

लेकिन कभी-कभी बादल में पर्याप्त संघनन कण या बारीक संरचना नहीं होती जिससे बारिश शुरू हो सके — यहाँ क्लाउड सीडलिंग का प्रयोग आता है।

क्लाउड सीडलिंग में विमान या जमीन से “नाभिक” (nuclei) जैसे सिल्वर आयोडाइड (AgI), या नमक/लवण आदि छोड़े जाते हैं, जो पानी के कणों को बड़ा होने में मदद करते हैं और उन्हें गिरने योग्य बनाते हैं। 

यदि बादल में पर्याप्त नमी (वॉटर वाष्प) हो, उपयुक्त तापमान हो, सही ऊँचाई हो — तब यह तकनीक काम कर सकती है और थोड़ी-बहुत बारिश ला सकती है। 

लेकिन बहुत महत्वपूर्ण बात: यह तकनीक खुद-से बादल नहीं बना सकती, और हर बादल में काम नहीं करती, और बारिश का स्तर (quantity) अक्सर बहुत सीमित होता है।

 तकनीकी सीमाएँ और चेतावनियाँ:

यदि बादल में पर्याप्त नमी नहीं है (जैसे बहुत सूखा मौसम), तो सीडलिंग की संभावना बहुत कम हो जाती है। दिल्ली में ऐसा ही हुआ – बादल में सिर्फ 10-15% नमी पाई गई।

प्रभाव अक्सर बहुत छोटा होता है — उदाहरण के लिए कुछ प्रतिशत ही बारिश बढ़ा सकती है, व्यापक मॉडिफिकेशन नहीं।

इसलिए, क्लाउड सीडलिंग को “जुड़े हुए” समाधानों (emissions reduction, स्रोत नियंत्रण) के साथ ही देखना चाहिए — अकेले यह प्रदूषण को कट कर देने वाला उपाय नहीं है

दिल्ली में क्यों फेल हुई क्लाउड सीडलिंग — संभावित कारण

नमी की कमी: दिल्ली-एनसीआर में परीक्षण के समय वायुमंडल में नमी बहुत कम थी — लगभग 10-15% के बीच। इस स्थिति में क्लाउड सीडलिंग काफी मुश्किल। 

मौसम उपयुक्त नहीं था: सीडलिंग के लिए उपयुक्त बादल, तापमान, व नमी का संतुलन होना जरूरी है — जो दिल्ली में मौजूद नहीं था।

प्रत्याशा बनाम वास्तविकता: कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह पहल पहले से ही चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि यह मौसम व प्रदूषण की जटिलता से लड़ने वाला अकेला उपाय नहीं था। 

प्रभाव सीमित था: बताया गया कि परीक्षण के बाद वायु गुणवत्ता में कुछ गिरावट हुई हो सकती है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी एवं बारिश नहीं हुई।

अब आगे क्या किया जाना चाहिए? — सुझाव और अगला कदम


स्रोत-स्तर पर कार्य: वाहनों से निकलने वाला धुआँ, निर्माण-कर्म, खेतों में पराली जलाना — ये जड़ हैं व इन्हें नियंत्रण में लाना अनिवार्य। क्लाउड सीडलिंग सिर्फ नतीजे को थोड़ा प्रभावित कर सकती है, कारण नहीं हटाती।

मौसम आधारित रणनीति: भविष्य में क्लाउड सीडलिंग तभी किया जाना चाहिए जब मौसम वैज्ञानिक दृष्टि से अनुकूल हो — यानी बादल हों, उपयुक्त नमी हो। बांध-मौके पर डेटा-संपादन किया जाना चाहिए।

पारदर्शिता व समीक्षा:
खर्च, परिणाम, डेटा को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि जागरूक नागरिक जान सकें कि क्या काम हुआ, क्या नहीं।

वैकल्पिक उपायों पर बल: जैसे ‘समय-बंदी निर्माण’, ‘वाहन अनुशासन’, ‘ग्रीन बेल्ट बढ़ाना’, तथा ‘स्मॉग गन/एयर प्यूरीफायर’ जैसी स्थानीय उपाय।

लंबी अवधि-नीति बनाना: वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ मौसम-परिर्वतन उपाय नहीं, बल्कि स्थायी नीति-निर्माण की जरूरत है।


यूके प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का बड़ा बयान: भारत के लिए वीज़ा नियमों में ढील नहीं



NB7-नई दिल्ली / लंदन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर (Keir Starmer) ने भारत दौरे के दौरान साफ कहा है कि वे भारतीयों के लिए वीज़ा नियमों में कोई ढील नहीं देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूके-इंडिया ट्रेड डील (UK-India Trade Deal) में वीज़ा मुद्दे का कोई संबंध नहीं है।

स्टार्मर ने कहा कि उनका भारत दौरा व्यापार, निवेश और रोजगार बढ़ाने पर केंद्रित है, न कि वीज़ा नीतियों में बदलाव पर। उनके अनुसार, "यह यात्रा बिज़नेस-टू-बिज़नेस संबंध मजबूत करने के लिए है।"


यूके यूनिवर्सिटी अब भारत में कैंपस खोलें- भारतीय छात्रों के लिए नया सुझाव — 

(UK Visa News in Hindi, Keir Starmer India Visit News, ब्रिटेन में पढ़ाई)

British PM कीर स्टार्मर ने सुझाव दिया कि ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस खोलने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि भारतीय छात्रों को यूके जाने की बजाय देश में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
इस कदम से दोनों देशों के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।

 यूके का लक्ष्य — ग्लोबल टैलेंट, न कि किसी देश विशेष को प्राथमिकता

British PM स्टार्मर ने कहा कि ब्रिटेन की नीति ग्लोबल टैलेंट को आकर्षित करने की है, न कि किसी एक देश के लिए वीज़ा नियमों को आसान बनाने की। इससे स्पष्ट होता है कि यूके सरकार भारतीयों को वीज़ा में विशेष छूट देने के पक्ष में नहीं है।

रूस-भारत तेल व्यापार पर सवाल टाला

जब पत्रकारों ने उनसे भारत द्वारा रूसी तेल (Russian Oil) खरीद पर सवाल पूछा, तो उन्होंने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा कि वे “शैडो फ्लीट” (Shadow Fleet) यानी प्रतिबंधों को दरकिनार करने वाले टैंकरों की गतिविधियों पर ध्यान दे रहे हैं

कीर स्टार्मर का यह बयान साफ संकेत देता है कि यूके और भारत के बीच व्यापारिक संबंध तो मजबूत होंगे, लेकिन वीज़ा नीतियों में बदलाव की संभावना फिलहाल नहीं है। उनका ध्यान व्यापार, निवेश और शिक्षा साझेदारी पर है — न कि Visa Policy पर।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो जानना ज़रूरी है:

UK-India Free Trade Agreement (FTA) क्या है

यह सौदा जुलाई 2025 में हुआ था।
इसके तहत कई सामानों (goods) पर टैक्स या आयात शुल्क (tariffs) कम होंगे। 

उदाहरण के लिए, ब्रिटिश व्हिस्की और जिन जैसे शराबों पर वसूले जाने वाले आयात शुल्क घटेंगे।
भारतीय कपड़े, जूते, खाद्य पदार्थ आदि बहुत से भारतीय निर्यात (exports) मामलों में लगभग शुल्क-मुक्त पहुँच पाएँगे UK मार्केट में

विद्यार्थियों और वीज़ा धारकों के लिए वर्तमान नियम

भारतीय छात्रों की संख्या UK में दाखिले (study visa) के मामले में थोड़ी कमी आई है।

नए नियमों के अनुसार, अधिकांश छात्रों के लिए dependents (पति/पत्नी या बच्चे) को वीज़ा नहीं मिलती है, सिवाय कुछ खास कोर्स-जैसे PhD या लंबे समय के postgraduate शोध-कोर्स।

छात्रों को इंग्लैंड-लाइफ़-लिविंग खर्च (living expenses) दिखाना ज़रूरी है, बैंक बैलेंस आदि का समय-समय पर सत्यापन होता है।

  1. राजनीतिक और आर्थिक मायने

    UK के अंदर, आव्रजन (immigration) और वीज़ा नीतियाँ (visa policy) राजनीतिक विवाद का विषय हैं। कई लोगों का मानना है कि वीज़ा नियमों में ढील देने से जनता में असमर्थता (dissatisfaction) बढ़ सकती है। India Today+1

    भारत के साथ व्यापार सौदे से UK को निर्यात, नौकरियों, आर्थिक साझेदारी में लाभ की उम्मीद है। लेकिन इसके साथ यह साफ किया गया है कि वीज़ा नियमों में बदलाव इस सौदे का
    । 


13 जून 2025 को ब्लैक बॉक्स (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) बरामद कर लिया गया। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) इसकी जांच कर रहा है। 

पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल ने उड़ान के एक मिनट से भी कम समय में "मेडे" आपातकालीन कॉल किया था, जिसमें बताया गया कि "इंजन में ताकत नहीं मिली" और विमान "नीचे गिर रहा है"। विमान 650 फीट की ऊंचाई तक गया और फिर 2 किमी दूर हॉस्टल पर गिर गया। एक 59 सेकंड का सीसीटीवी वीडियो इस हादसे का मुख्य सबूत है।


अहमदाबाद विमान हादसा 2025-सबसे ज्यादा चर्चा में जो रहे :

1 - अहमदाबाद के एक 17 साल के लड़के ने अनजाने में हादसे का वीडियो रिकॉर्ड किया, जो वायरल हो गया। 

2 - इकलौता बचा व्यक्ति, विश्वास कुमार रमेश, ने अस्पताल से अपनी दर्दनाक कहानी बताई, जिसमें उन्होंने आग के गोले में फंसे होने का जिक्र किया। 

3 - एक पूर्व  यात्री ने बताया कि उसी विमान में पहले की उड़ान में एसी और कॉल लाइट्स काम नहीं कर रही थीं, जिससे विमान की स्थिति पर सवाल उठे।

4 - गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी की मौत

हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी जान गई, जिससे राज्य में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बचाव कार्यों को तेज किया।


एयर इंडिया की प्रतिक्रिया

एयर इंडिया ने आपातकालीन केंद्र बनाया और परिवारों की मदद के लिए सपोर्ट टीमें तैनात कीं। एयरलाइन ने AI171 फ्लाइट नंबर को अपने शेड्यूल से हटा दिया। 

चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने दुख जताया और प्रभावित परिवारों की मदद का वादा किया।

दोनों इंजनों के एक साथ बंद होने की संभावित वजहें

अहमदाबाद विमान क्रैश में 204 की मौत, पूर्व CM की भी मौत 



अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान हादसे ने फैलाया मातम

NB7-अहमदाबाद: 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एक भयानक विमान हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। एयर इंडिया का विमान AI-171, जो बी.जे. मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स हॉस्टल के पास क्रैश हो गया, उसमें 204 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। 

विमान में कुल 242 यात्री सवार थे। हादसे के बाद मलबे में लगी आग ने कॉलेज की इमारत को भी भारी नुकसान पहुंचाया। अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 41 घायल लोग अहमदाबाद सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं, जहां उनकी हालत स्थिर है।

सनसनीखेज खुलासा: हादसे में मरने वालों में मेडिकल कॉलेज के कई छात्र भी शामिल हैं, जो उस समय हॉस्टल में थे। इस खबर ने पूरे शहर में मातम का माहौल बना दिया है।

डीएनए सैंपलिंग: मृतकों की पहचान का इकलौता रास्ता


पुलिस कमिश्नर ने पुष्टि की कि मृतकों की पहचान के लिए उनके परिजनों के डीएनए सैंपल लिए जाएंगे। यह प्रक्रिया बी.जे. मेडिकल कॉलेज के ग्राउंड फ्लोर पर शुरू हो चुकी है। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से अपील की है कि मृतकों के माता-पिता, बच्चे या नजदीकी रिश्तेदार डीएनए टेस्ट के लिए संपर्क करें ताकि शवों की पहचान जल्द हो सके।

नई जानकारी: कुछ शव इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं कि उनकी पहचान सामान्य तरीकों से असंभव है। डीएनए टेस्टिंग ही अब एकमात्र रास्ता है। 



शार्ट टर्म कोर्सेस जो देतें हैं 100 %  जॉब गॅारंटी 



मैन्युफैक्चरिंग में कैरियर  

Career in Manufacturing 

भिवाड़ी राजस्थान 

   पैकेजिंग में कैरियर

      (Packaging) 

    दिल्ली मुंबई कोलकता        अहमदाबाद चेन्नई बैंगलुरु 

     हेल्थ सेक्टर में कैरियर  

      (Paramedical )               (दिल्ली ) 

डिप्लोमा इन टूल एंड डाई मेकिंग  03 ईयर 

Diploma In Tool and Die Making 

 PG Diploma in Packaging Industry 

 Paramedical Courses after 12th

 24.06.2025 

 15 जून 2025 

 Apply & Read More at vacancy99.com