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Bollywood Comedian Asrani Death News

बॉलीवुड के जाने माने कॉमेडियन असरानी नहीं रहे 



बॉलीवुड के जाने-माने हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी, जिन्हें आम-तौर पर “असरानी” नाम से जाना जाता था, ने 84 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली हैं।
उनके निधन ने फिल्म-उद्योग में शोक की लहर फैला दी है। उस यात्रा को हम इस लेख में उनके जीवन, काम और अंतिम समय के संदर्भ में देखेंगे।

जीवन-परिचय 

असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। शुरू-शुरू में उन्होंने रंगमंच 

और ट्रेनिंग के माध्यम से अभिनय का कटाक्ष किया। धीरे-धीरे उन्होंने हिंदी फिल्मों में प्रवेश किया।




असरानी का फिल्मी करियर 

असरानी ने अपने लगभग 300-400 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है।

उन्होंने विशेष रूप से शोले फिल्म में जेलर के किरदार से लोगों के बीच अपनी खास पहचान बनाई — 

“हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं” संवाद आज भी याद है।

इसके अलावा “चुपके चुपके”, “खट्टा-मीठा”, “भूल भुलैया”, “वेलकम” जैसी कई फिल्मों में अभिनय 

कर उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाई।

उनकी कॉमिक-टाइमिंग, चरित्र-भूमिकाएं और सहजता उन्हें दर्शकों के दिलों में जगह दिलाती रही।

अभिनय में योगदान और शैली


असरानी ने हास्य कलाकार के रूप में तो अपनी विशिष्ट पहचान बनाई ही, साथ-ही-साथ उन्होंने 

संवेदनशील व चरित्र-भूमिकाओं में भी कई बार काम किया।

उनका बोलने का तरीका :

सहज संवाद-भाषण व कॉमिक टाइमिंग

किसी भी फिल्म में छोटा किरदार मिलने पर भी उसमें जान डाल देना

फिल्मों के साथ-साथ Stage या रंगमंच से भी जुड़ाव होना

अचानक प्रस्थान एवं अंतिम सफर

असरानी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे।

उनकी मृत्यु 20-21 अक्टूबर 2025 को हुई, 84 वर्ष की आयु में।

निधन से कुछ घंटे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर दिवाली की शुभकामनाएँ दी थीं, जो अब एक 

भावुक याद बन गई हैं।

उनके अंतिम संस्कार को उनके इच्छानुसार बड़ी-झाँक नहीं बल्कि सरल तरीके से तुरंत किया गया, 

इस मामले में उनके मैनेजर ने स्पष्टीकरण भी दिया है।

विरासत और श्रद्धांजलि

असरानी ने हिंदी सिनेमा को जितनी हँसी दी है, उतनी ही यादगार भूमिकाएं भी। उनकी कमी लंबे 

समय तक महसूस होगी। सिनेमा जगत, फैंस और समीक्षकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।

उनके बनाए गए किरदार आज भी नए कलाकारों व दर्शकों के लिए प्रेरणा हैं।

गोवर्धन असरानी का जीवन-सफ़र प्रेरणा-पूर्ण था — एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने 

फिल्म-उद्योग में अपनी विशिष्ट जगह बनाई। उन्होंने हास्य और चरित्र दोनों में समीचीन अनुभव छोड़ा। 
उनका जाना फिल्म जगत के लिए निश्चित रूप से एक बड़ी क्षति है। उनके निधन के साथ एक युग का 

समाप्त होना प्रतीत होता है।