सूर्य ग्रहण 2024 (Solar Eclipse)
ग्रहण क्या है ?
जैसे हम जानते है की पृथ्वी सूर्य के चारों और अंडाकार कक्षा में चक्कर लगती रहती है और साथ ही अपनी धुरी पर भी घूमती रहती है अपनी धुरी पर घूमने के कारण पृथ्वी के जिस हिस्से पर सूर्य की रोशनी पड़ती है, वहां पर दिन और जहाँ पर सूर्य की रोशनी या किरणे नहीं पड़ती वहां पर रात का समय होता है, और ये क्रम एकसाथ चलता रहता है,.मतलब जब धरती पर एक जगह दिन होता है तब उसी समय पृथ्वी के दुसरी और रात का समय चल रहा होता है.
पृथ्वी के सूर्य के चरों और चक्कर लगाने से पृथ्वी पर सूर्य की किरणों की सीधा या तिरछा पड़ने से मौसम में बदलाव होते रहते हैं.
सूर्य ग्रहण:
जिस तरह पृथ्वी सूर्य के चरों और चक्कर लगा रही है, उसी तरह चाँद भी पृथ्वी का प्राकर्तिक उपग्रह होने के कारण पृथ्वी के चरों और चक्कर लगा रहा है. किन्तु चाँद की चक्कर लगाने की कक्षा कभी भी एक समान नहीं होती ये कुछ डिग्री कम या ज्यादा होती रहती है. ऐसी स्थिति में जब भी चाँद पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है उस स्थिति में चाँद की स्थिति बीच में होने की वजह से कुछ स्थानों पर चाँद की छाया के कारण सूर्य की किरणे पृथ्वी पर नहीं पड़ पाती और वहां पर अँधेरा होने का आभास होता है पर ये स्थिति अधिक देर तक नहीं रहती है, जैसे ही चाँद आगे बढ़ता है उस स्थान पर सूर्य की किरणे फिर से पड़ने लगती है और फिर से दिन या रोशनी हो जाती है.
ये स्थिति यदि अमावस्या के दिन पड़ती है तो सूर्य ग्रहण बन जाता है, ये एक सामान्य स्थिति है किन्तु धार्मिक फायदा नुक्सान बताने वालों के अनुसार इसमें बहुत से दोष गिनाये जाते हैं, किन्तु सब भ्रांतियां हैं प्राकर्तिक रूप से होने वाले चक्करों में सूर्य चाँद और पृथ्वी अक्सर ऐसी स्थिति में आती रहती है, इसलिए इससे किसी भी जीव पर कोई असर नहीं पड़ता है.
इसका सिर्फ एक ही नुक्सान है वो भी तब जब आप सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से देखें, सूर्य को किसी भी स्थिति में नंगी आँखों से देखने पर अत्यधिक मात्रा में सूर्य की किरणे आँखों के रेटिना पर पड़ती हैं तो रेटिना पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.या सामान्य भाषा में आंखें ख़राब हो सकती हैं. इसके आलावा इसके और कोई वैज्ञानिक नुक्सान नहीं हैं.
सूर्य ग्रहण के समय सूर्य पर जो काला गोला दिखाई देता है वह चाँद होता है जो अमावस्या की स्थिति के कारण हमें सूर्य ग्रहण के समय दिखाई पड़ता है.
सूर्य ग्रहण का सूतक कितने बजे लगेगा ?
क्योकी सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक रूप से ग्रहण का सूतक भी भारतीय भूभाग पर लागू नहीं होता है.
वैसे पंडितों से पूछो तो वे इसका भी कोई न कोई कारन बता कर ग्रहण से बारह घंटे पहले से सूतक लग जाता है की सलाह देंगें। तथा इस समय आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं पर भी सलाह दे देंगें।
सूतक क्या है?
सूतक एक प्रकार से दिशा निर्देश है केवल तथा इसके पीछे थोड़ा सा विज्ञानं है बस
1- आँखे सूर्य की किरणों से ख़राब होने से बचने के लिए
2 - क्योकी इस समय सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध में होती हैं, तथा चन्द्रमा भी पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है इसकी वजह से पृथ्वी पर कुछ स्थानों पर चुंबकीय बल में परिवर्तन आ जाता है, जिससे बचने के लिए खुले में घूमना थोड़ा हानिकारक हो सकता है, किन्तु इसके भी स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं.
3- सूतक के समय गुरुत्व बल में थोड़ा भी बदलाव हो जाता है तो, ऐसी स्थिति में यदि चोट लग जाये और उससे खून बहने लगे उस स्थिति से भी बचने के लिए सूतक लगाया जाता है, ताकि चोट लगने से अत्यधिक खून न बहे.
इसके आलावा और किसी स्थिति में ग्रहण से बुरे प्रभाव के वैज्ञानिक कारण नहीं हैं.
क्या न करें:
1. भगवान का पूजा पाठ न करें. मंदिर की तस्वीरों, मूर्तियों को हाथ न लगाएं
2. भोजन न पकाएं, सूर्य ग्रहण के कारण भोजन अशुद्ध हो सकता है.
3. कोई भी नया काम करने से बचें.
4. खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो Z Black काला चस्मा पहनें।
5. सूतक लगने के बाद ग्रहण खत्म होने तक भोजन खाने से परहेज करें. प्रेगनेंट महिलाएं, बच्चे, बीमार और बुजुर्गों के लिए ये नियम लागू नहीं है. इसका मतलब सिर्फ जवान लोग सूतक के नियम को मानें।
6. सूतक लगने के बाद गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें.
7. सूतक लगने के बाद प्रेगनेंट महिलाएं सिलाई कढ़ाई का काम न करें.
8. सूतक लगने के बाद ग्रहण समाप्त होने तक किसी धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू, ब्लेड आदि का प्रयोग न करें. इससे गर्भस्थ शिशु के अंग में विकार आ सकता है. किन्तु वैज्ञानिक दृष्टी से इन सब दिशा निर्देशों पर शोध हुवे हैं किन्तु कोई खास प्रमाण नहीं मिले हैं.
2. भोजन न पकाएं, सूर्य ग्रहण के कारण भोजन अशुद्ध हो सकता है.
3. कोई भी नया काम करने से बचें.
4. खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो Z Black काला चस्मा पहनें।
5. सूतक लगने के बाद ग्रहण खत्म होने तक भोजन खाने से परहेज करें. प्रेगनेंट महिलाएं, बच्चे, बीमार और बुजुर्गों के लिए ये नियम लागू नहीं है. इसका मतलब सिर्फ जवान लोग सूतक के नियम को मानें।
6. सूतक लगने के बाद गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें.
7. सूतक लगने के बाद प्रेगनेंट महिलाएं सिलाई कढ़ाई का काम न करें.
8. सूतक लगने के बाद ग्रहण समाप्त होने तक किसी धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू, ब्लेड आदि का प्रयोग न करें. इससे गर्भस्थ शिशु के अंग में विकार आ सकता है. किन्तु वैज्ञानिक दृष्टी से इन सब दिशा निर्देशों पर शोध हुवे हैं किन्तु कोई खास प्रमाण नहीं मिले हैं.
चंद्र ग्रहण:
सूर्य ग्रहण की तरह यदि पृथ्वी सूर्य और चंद्र के बीच जब जब पड़ती है, उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं, ये भी शुद्ध रूप से एक प्राकर्तिक घटना है व ये स्थिति साल में अक्सर बनती रहती है.
धार्मिक पाखंड से इसको भी भारत में खास बनाया जाता है, जिससे लोगोंको मंदिरों में बुलाया जा सके और कमाई की जा सके.
वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो ये भी प्राकर्तिक घटना भर है और इसका मनुष्यों या किसी भी जीव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.