मेरा शरीर मेरा अधिकार
My Body My Right
फ़्रांस की महिलाओं ने आखिरकार गर्भ को रखना है या नहीं, चाहे जो भी कारण हो, का अधिकार पा लिया है. इसमें उन्होंने बहुत लम्बी लड़ाई लड़ी थी. आखिर 04 मार्च 2024 वह दिन है जब फ़्रांस की महिलाओं ने इसे अपना संविधानिक अधिकार के रूप में पाया है. फ्रांस का पैलेस ऑफ वर्साय एक ऐतिहासिक घटनाक्रम का गवाह बना। फ्रांस के संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया और इसी के साथ अब फ़्रांस उस देश में शामिल हो गया जहाँ अबॉर्शन यानी गर्भपात महिलाओं का संवैधानिक अधिकार है।
दुनिया के 100 से अधिक देशों में अपनी मर्जी से गर्भपात करना महिलाओं का कानूनी अधिकार है, लेकिन फ्रांस दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहाँ अब इसे महिलाओं के संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया है। जैसे भारत का कानून अपने सभी नागरिकों को समता, स्वतंत्रता और शोषण व भेदभाव से रक्षा का बुनियादी संवैधानिक अधिकार देता है, वैसे ही अनचाही प्रेग्नेंसी को खत्म करने का अधिकार अब फ्रांस की महिलाओं के पास है।
क्या होता है गर्भपात (एबॉर्शन abortion )
गर्भ धारण के बाद यदि किसी कारण गर्भ को निकलना पड़े जिसमें स्त्री की इच्छा हो या न हो को गर्भपात कहते हैं, ये दो तरह का हो सकता है, एक तो यदि गर्भपात स्वतः स्वास्थ के ढीक न होने के कारण जिसमें शरीन में अनेक प्रकार की दिक्कतें चल रही हो, गर्भाशय में कोई कमी हो, जरूरत से ज्यादा मानसिक दबाव स्त्री के शरीर पर पड़ रहा हो या कई अन्य कारणो से भी कभी कभी स्वतः गर्भ गिर जाता है। 30-40 % गर्भपात ऐसे ही हो जाते हैं.
दूसरा कारण जानबूझकर गर्भ को गिराया जाता है, कारण कुछ भी हो सकते हैं इस तरह चिकित्सकों की मदद से भ्रूण को निकालने को ही सामान्यतः गर्भपात कहते हैं.
फ़्रांस में ये संघर्ष 53 साल पहले 5 अप्रैल, 1971 को एक फ्रेंच मैगजीन में छपे एक घोषणापत्र से शुरू हुआ था । इस घोषणापत्र में फ्रांस की 343 औरतों के नाम और हस्ताक्षर थे। घोषणापत्र में महिलाओं ने अपने जीवन में कभी-न-कभी गर्भपात कराने की बात स्वीकार की थी जब गर्भपात गैरकानूनी था और उसे करने और कराने की सजा जेल थी। उस मेनिफेस्टो में सिमोन द बोवुआर का नाम भी शामिल था, जिसने ‘द सेकेंड सेक्स’ जैसी ऐतिहासिक किताब लिखी।
ये वह समय था जब पूरी दुनिया में औरतें अपने बुनियादी अधिकारों, समता और स्वतंत्रता के लिए आवाज बुलंद कर रही थीं और पूरी दुनिया के अधिकांश सामाजिक संस्थाओं मर्दों को इस बात से घोर आपत्ति थी।
लेकिन फ़्रांस की औरतों ने अपनी लड़ाई जारी रखी। फिर इसी मेनिफेस्टो को मेनिफेस्टो ऑफ़ 343 स्लट कहा गया।
उस दिन फ्रांस की संसद से लेकर सड़कों तक जश्न जैसा माहौल था। पेरिस के ऐतिहासिक एफिल टॉवर के नीचे लोग आतिशबाजी कर रहे थे, गले मिल रहे थे, मिठाइयां बांट रहे थे। उस भीड़ में सिर्फ वे युवा ही नहीं थे, बहुत सी ऐसी महिलाएं भी थीं, जो 1975 के पहले पैदा हुई थीं। और जो गर्भपात की पीड़ा की उन हजारों कहानियों की गवाह रहीं थी , जिन औरतों ने अनचाहे बच्चे पैदा करते हुए, असुरक्षित ढंग से अबॉर्शन करवाते हुए भयानक पीड़ा झेली थीं।
आज के आधुनिक समय में भी इस महान संशोधन के खिलाफ 72 वोट पड़े, जबकि 780 वोट इसके समर्थन में थे। 80 फीसदी से ज्यादा पब्लिक वोट इस बदलाव के समर्थन में थे। फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल एटल ने पूरे देश की महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, "यह शरीर सिर्फ आपका है। किसी और को ये अधिकार नहीं हो सकता कि वह इस बारे में फैसला ले।"
बहुत से देशों में आज भी करोड़ों औरतें अनचाहे बच्चों को जन्म दे रही हैं। गैरकानूनी ढंग से चोरी-छिपे गर्भपात करवाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रही हैं। यूएन वुमेन के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल तकरीबन 30,000 लड़कियां असुरक्षित ढंग से अबॉर्शन करवाने के कारण या तो स्त्रियां अपनी जान गवां देती हैं या जान खतरे में डालती हैं।
अब भी बहुत से देशों में जहाँ मर्दों का समाज पर दबदबा है वहां स्त्रियों को न के बराबर अधिकार मिले हैं और स्त्रियों के हर फैसले मर्दों के समाज की इच्छा पर तय होते हैं।
साऊथ अफ्रीका की महिलाओं को ये अधिकार 1997 में मिला था जिसमें वे 12 हफ़्तों के गर्भ को गिरा सकती हैं और कुछ खास परिस्थितियों में 20 हफ़्तों के गर्भ को भी ऑपरेशन से गिरा सकती हैं. और इस प्रोसेस को स्त्रियों के स्वास्थ पर ध्यान में रख किया जाता है.
भारत में क्या है गर्भपात के नियम या कानून ?
Abortion in India:
इंडिया में भी स्त्रियों को 20 हफ़्तों तक गर्भपात का अधिकार है व कभी कभी कुछ खास कारणों से यदि वह इसके बाद 24 हफ़्तों तक के गर्भ से छुटकारा पा सकती है, मगर इसके लिए उसे न्यायलय से इजाजत लेनी पड़ेगी तथा ये बताना पडेगा की यह गर्भपात क्यों है जरूरी। इस परिस्थिति से बचने के लिए या गर्भपात को कराने में कुछ कारण ऐसे भी हो सकते हैं जैसे स्त्री की उम्र कम होना, बलात्कार की शिकार होना, स्त्री को स्वास्थ्य कारणों से गर्भ धारण करने लायक न होना, गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई ऐसी बीमारी होना जिससे दोनों की जान खतरे में पड़े आदि आदि