बॉडी बन गई झरना,ओ पंखे कुछ तो करना, औ पंखे व्हाट इज दिस
अब आम जनता को भी समझ आ जायेगा, पेड़ों की असली अहमियत। पेड़ों की कमी का असर दिखने लगेगा जब तापमान जायेगा 50 के पार.
राजधानी दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में आसमान से आग बरसने का सिलसिला जारी है। भीषण लू के थपेड़ों से बेहाल है।
आधुनिकीकरण, रोड़-चौड़ाकरण और बढ़ते कंक्रीट के जंगल की दौड़ में पेड़ों को बेदर्दी से काट कर हटा दिया जाता है, जो वातावरण को साफ़ शुद्ध और ठंडा रखने का काम करते हैं
यदि ये स्थिति ऐसे ही रही तो फसलों पर भी इसका बुरा असर पड़ने की पूरी सम्भावना है और महा मंहगाई के साथ भुखमरी आने का न्योता दिया जा रहा है.
अधिक तापमान से हीट स्ट्रोक के साथ साथ ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में 200 गुना उछाल आ सकता है, क्योकि अधिक तापमान मनुष्यों में ही नहीं, जानवरों में भी अत्यधिक गर्मी के कारण, पानी की कमी, भूख और दिमाग की नसों के तापमान बढ़ने से मौत को नहीं रोका जा सकता।
शहरों के साथ साथ अब गांवों में भी सीमेंट के काम में बढ़ोतरी हो रही है प्रशासन को चाहिए की वे पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता अभियानों पर जोर दें ताकि प्रत्येक घर से पेड़ों को लगाने की मुहीम चलाई जा सके.
वैसे मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अगले सप्ताह तक अरब सागर से आने वाली हवाओं के कारण तापमान में मामूली गिरावट आएगी। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि एक जून से तापमान में गिरावट आने की उम्मीद है। इसके बाद से लू का प्रकोप लगभग खत्म हो जाएगा। केरल में मानसून की शुरुआत अगले 3-4 दिनों में होने की संभावना है।