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Snake bite and life saving tips

सांप काट ले तो जान कैसे बचाएँ: 

क्या करें और  क्या न करें ?

दुनिया भर में लगभग 3000 प्रकार के सांप पाए जाते हैं. जिसमें  से बहुत से सांप बिना जहर के, किन्तु कुछ सांप बहुत ज्यादा जहरीले होते हैं.

भारत में मुख्यतः चार प्रकार की प्रजातियां हैं जो अत्यंत जहरीली हैं, इनमें से कुछ सांप के बारे में तो अलग अलग तरह की कहानियां तक प्रचलित हैं 

1- कोबरा  2- रसेल वाइपर  3- करैत  4- वाइपर 

कोबरा (नाग) सर्प : अत्यंत जहरीले सांपों में सबसे पहला नाम कोबरा (नाजा नाजा ) का है, इसकी भी कई उप-प्रजातियां हैं जो अलग अलग रंग रूप और आकर की हो सकती हैं, कुछ सांप देखने में चमकदार और सुन्दर भी हो सकते हैं. इनका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, किन्तु कुछ में न्यूरोटॉक्सिक और हेमोटोक्सिक का खतरनाक मिश्रण भी हो सकता है. इनके काटने से मनुष्य का नर्वस सिस्टम रुक जाता है जिससे साँस न लेने और दिल की धड़कन रुकने से मौत हो जाती है. सांप द्वारा काटने पर उसके द्वारा छोड़ा गया जहर की मात्रा भी  किसी की मौत या उसकी जान बचने का बहुत बड़ा कारण हो सकता है. 


कोबरा की प्रजाति में उनके रहने के स्थान के अनुसार शारीरिक रंग रूप भी अलग अलग होते हैं, मतलब सभी कोबरा काले न हो कर काले भूरे, काले कुछ पीले से, काले नीले से या थोड़े से गुलाबी या सफ़ेद भूरे हो सकते हैं, साथ ही 3-4 या 5 फुट तक बढ़ सकते हैं. इनमें किंग कोबरा सबसे बड़ा होता है ये ये 6- 8 फुट तक के देखे गए हैं और ये दूसरे सांपों को खाते हैं. सिर्फ कोबरा प्रजाते के सांपों को लोग ट्रेंड करने की कोशिस करते हैं, किन्तु अक्सर सांप द्वारा काटे जाने पर उनकी मृत्यु भी हो जाती है. 


भारत में हर वर्ष लगभग 50 हजार लोग सांप के काटने और उसका सही से इलाज न करवाने की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. 

वैसे तो अधिकतर सांप इंसानों से बचना चाहते हैं किन्तु बहुत बार जब ये सांप इंसानों के बीच आ जाते हैं तब ये इंसानों से अपनी जान बचाने के लिए अपने एक मात्र हथियार का प्रयोग करने से भी नहीं चूकते, क्योकि सांप रेप्टाइल प्रजाति के होते हैं इसलिए मेमेलिया ग्रुप के जीवों (इंसान,बन्दर,हाथी,घोड़े, शेर,हिरन, गाय,भैंस,बकरी जैसे जीव जो बच्चों को दूध पिलाते हैं)  से पहले इनका विकास धरती पर हुआ था और इन जीवों के पास अपनी जान बचने का और शिकार करने का एक ही साधन होता है वो है इनके मुँह में जहर की थैली जैसा अंग, जो इनके दांतो से जुड़ा होता है और जब भी ये चाहें, किसी को भी सूखा या जहर की खुराक काट कर दे सकते हैं. 

सांप बहुत बार ड्राई बाइट (बिना जहर वाला हमला) भी करते हैं, किन्तु अत्यधिक डर के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाने से इंसानों में दिल का दौरा  पड़ने से भी मौत होती हुई देखी गयी है, सिर्फ कोबरा प्रजाति के सांप सुखी बाइट (Dry-bite बिना जहर का डंक) देते दिख जाते हैं, किन्तु हर बार नहीं, आप भरोसा 0.1 % भी नहीं कर सकते।

यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है की सांपों के भी मिजाज इंसानों की तरह अलग अलग हो सकते हैं मतलब एक ही प्रजाति के दो सांप एक जैसे हमला नहीं करते, एक सांप शांत रह सकता है जबकि दूसरा अत्यधिक गुस्सैल और मिनट में दो तीन बार काट सकता है 

रसेल वाइपर: घोनस या चित्तकोडिया सांप:

भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला यह दूसरा सांप है जिसे लोग मोटा और रंगीन होने की वजह से अजगर समझ लेते हैं इसके शरीर पर छल्ले या कोड़ी जैसे निशान होने की वजह से उत्तर भारत में इस चित्तकोडिया सांप भी कहते हैं. यह सांप पुरे भारत में पाया जाता है,किन्तु कहीं कहीं पर इनकी सख्या ज्यादा होती है, और ये दो या तीन के झुण्ड में भी पाया जाता है 

यह सांप भारत में सांप के द्वारा कटे जाने की सबसे ज्यादा घटनाओं के लिए जिम्मेदार है और 100  % जहर के साथ काटता है, इसके पास जाने पर ये कुकर की सीटी की तरह आवाज करता है और यदि इसकी चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया तो ये भारत केसांपों में सबसे लम्बे जहरीले दांतों का इस्तेमाल 100 % काटने के लिए करेगा, इसलिए इसके द्वारा काटे जाने के कोबरा से ज्यादा मामले सामने आते हैं. 

भारत में सर्प दंश से पीड़ित हर 100 लोगों में इसके पास काटने का  60-65 % का आकड़ा है.

दूसरा कारण है इसका कैमोफ्लाज (अपने आसपास की जगहों में छिपने में माहिर), जिसकी वजह से इसे सुखी घास पत्तियों में देख पाना लगभग नामुमकिन है. इसलिए भी ये सांप अक्सर लोगों के पैरों के नीचे आने पर या नजदीक जाने पर बिजली की तेजी से हमला कर काट लेता है और विक्टिम को सँभालने का मौका तक नहीं मिलता। मोटा होने के कारन ये सुस्त लगता है किन्तु होता बिलकुल उल्टा, पूँछ से पकड़ने की कोशिस करने पर मजबूत मांसपेशियों के कारन ये अपनी लम्बाई के बराबर पलटकर पकड़नेवाले को काट सकता है, इसलिए इस सांप को पकड़ने वाले ट्रेंड और एक्सपर्ट लोग बिना छड़ी की सहायता लिए, इसे हाथ भी नहीं लगाते। 

इस सांप का जहर हेमोटोक्सिक होता है, यानि जैसे ही इसका जहर खून में मिलता है खून के थक्के बनने के कारण फटे दूध की तरह फट जाता है और मनुष्यों की रुधिरपरिसंचरण या खून की नालियों में ही जाम हो जाता है तथा शरीर में खून की सप्लाई बंद होने की वजह से मौत होने की सम्भावना 70-99 % तक बढ़ जाती है. समय पर हॉस्पिटल न जाने की वजह से मौत होना निश्चित है.

कॉमन करैत ( Bungarus caeruleus): भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला ये सांप लगभग रात्रीचर होने के कारन ओझल रहता है यदाकदा रात में ही लोगो के घरों में घुसता है तथा जमींन पर सो रहे लोगो को काट कर चपके से निकल भी जाता है. 


करैत सांप की पहचान:

 कॉमन करैत का रंग काला नीला और उसपर सफेद छल्ले सर से पूंछ तक होते हैं रात्री चर होने के कारण काल रंग इसको छिपने में मदद करता है किन्तु रात्री में बाहर आने की वजह से ये दूसरे सांपों को खाने के लिए उनके पीछे पीछे घरों में घुस जाता है और सोते हुवे लोगों को काट लेता है, क्योकि इसके दन्त छोटे होते हैं इसलिए बहुत बार पीड़ित को पता ही नहीं होता की उसको सांप ने काट लिया है,न ही इसके दन्त के काटने निशान नजर आते हैं. करैत सर्प के पास न्यूरोटॉक्सिक होने के कारण शरीर में जो भी बदलाव आते हैं, वो अंदरूनी होते हैं और शरीर की त्वचा पर कोई निशान नहीं मिलता। 

कोई करैत, छोटा या बड़ा सांप यदि काट लेता है तो उसका असर तुरंत नहीं होता है, उस पर जहर का असर धीरे-2 होता है और तबियत खरब होने के कारण समझ में न आने के कारण तुरंत हॉस्पिटल नहीं जाते, छोटी मोटी स्वास्थ समस्या समझ कर लापरवाही बरती जाने के कारन अक्सर पीड़ित की मौत हो जाती है. रात में काटने के और अधिकतर सोते हुवे लोगों को काटने के कारण इसे अदृश्य मौत या ब्लैक डेथ के नाम से भी जानते हैं और रसेल वाइपर के बाद इसके द्वारा काटने की खासकर गावों में सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं.

इसके द्वारा काटे गए लोग सांस न ले पाने की बात करने लगते हैं और धीरे धीरे उसके अंग काम करना बंद कर देते हैं. घरों में झाड़फूंक या नीम हक़ीनों से इलाज के कारण समय निकल जाता है और यदि पीड़ित समय पर हॉस्पिटल पहुँच भी जाय तो करैत के जहर का एंटीडोट अभी तक नहीं बन सका है, नाज़ा या कोबरा के जहर के एंटी डॉट से इसके इलाज की कोशिस की जाती है, किन्तु पीड़ित की हॉस्पिटल में पहुँच कर भी उसकी मौत हो सकती है.

 
सॉ स्केल्ड वाइपर सर्प (Echis carinatus): भारत में पाए जाने वाले वाइपर सर्पों की  बहुत से किस्में पाई जाती हैं इसमें दक्षिण भारत में मिलने वाले रंग बिरंगे पिट वाइपर के साथ उत्तर भारत में ब्राउन या मटमैले रंग के सॉ स्केल वाइपर पाए जाते हैं जो लगभग एक मीटर तक बढ़ सकते हैं.  साइज़ की बात की जाय तो इसकी लम्बाई सबसे छोटी होती है. किन्तु जहरीला लगभग बराबर होता है. इसमें न्यूरोटॉक्सिक के साथ हेमोटोक्सिक का विभिन्न मिश्रण होता है 


 सॉ स्केल वाइपर का सर तिकोने आकर का होने के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है तथा वाइपर के दन्त बड़े होने के कारण तिकोने आकार में आसानी से फिट हो जाते हैं.

इसका सिर इसकी गर्दन से अलग है; इसका थूथन बहुत छोटा और गोल है। नथुने तीन ढालों के बीच में है, और सिर छोटे कीलदार तराजू से ढका हुआ है 

वैसे तो सॉ स्केल्ड वाइपर के शरीर पर शुष्क स्केल होते हैं जिसे ये शरीर को आपस में ही रगड़ कर आवाज़ पैदा करता है राजस्थान में रेत के रंग के होते हैं जबकि हरे जंगलों में विभिन्न रंगो में भी मिल सकते हैं 

ये सर्प दिन में एक्टिव रहते हैं और रात में निष्क्रिय रहते हैं. इसलिए जंगलों में, खेतों में, बागानों में काम करने वाले लोग इनके आसान शिकार हो जाते हैं.

सर्पदंश हो जाय तो क्या करें ?
1-सर्प दंश से बचने के सभी छोटे बड़े उपायों से अच्छा उपाय  सांपो से दूरी ही है और इससे अच्छा  कोई उपाय नहीं होता है, किन्तु दुर्भाग्यवश यदि सर्पदंश हो जाय तो

सबसे पहले क्या करें : सर्प से दूर हो जाएं, तथा हो सके तो सांप को पहचान लें, किन्तु पकड़ने या मारने की कोशिस न करें, व्यर्थ की दौड़ भाग से ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण विष का असर तेजी से होगा 
2- घबराएं भी नहीं क्योकि घबराहट से भी ब्लड सर्कुलेशन तेज हो सकता है जिससे विष तेज़ी से शरीर में फैलेगा। सांप के जहर को झाड़ने वाले ओझा वैद्य से बचें, समय बर्बाद न करें तुरंत अस्पताल को जाएं।
3- टाइट कपड़ों को निकल दें अंगूठी, कड़े जैसी चीजे भी मुसीबत बन सकती हैं 
4- यदि सर्प दंश के निशान दिख रहे हैं तो उसे साबुन और  ठन्डे पानी से धो दें और उस पर साफ़ कपडे से ढक दें.
5- लेटी हुई अवस्था में रहने की कोशिस करें और तुरंत सहायता बुला कर नजदीक की स्वास्थ्य सेवा या हॉस्पिटल पहुँचने की कोशिस करें, क्योकि हॉस्पिटल में मौजूद सर्प के जहर के एंटीडोट ही आपकी जान बचा सकता है. 

करैत सर्प दंश के शिकार: हो सकता है आपको काले करैत ने कटा हो तो आपको साँस लेने में परेशानी होनी शुरू हो सकती है ऐसी स्थिति में हॉस्पिटल में मौजूद जान बचाने वाले वाले उपकरण ही आपको ऐसी स्थिति से बचा सकते हैं.  करैत सर्प के काटने पर उसके दन्त के निशान न भी मिलें तब भी हॉस्पिटल जरूर जाएं, सर्प दंश की जगह पर जरूरी नहीं की लाल निशान मिलें या स्वेलिंग हो, शुरू में ऐसा लगेगा जैसे कुछ नहीं हुआ, किन्तु अचानक तबियत ख़राब हो सकती है. इसलिए खतरा टलने तक हॉस्पिटल में ही रहे. ये भी सुनिश्चित करें की हॉस्पिटल में सर्प दंश के एंटीडोट मौजूद हैं या नहीं।

कोबरा दंश के शिकार: 
यदि आपको ये स्पष्ट हो की आपको कोबरा जाति के सर्प ने डसा है तो इसकी जानकारी हॉस्पिटल को अवश्य दें, सर्प की फोटो भी हो तो और भी अच्छा, चिकित्सकों को आपका इलाज करने में आसानी हो सकती है. ऊपर बताय गए उपायों को ही अपनाये व्यर्थ की भागदौड़ और घबराहट से बचें, साथ ही मदद बुला कर हॉस्पिटल पहुंचें, कोबरा के दंश के निशान अधिकतर नजर आ जाते हैं और जोड़े में हो सकते हैं, इसलिए यदि बंद लगाने का मन करे हाथ या पैर जिस पर दंश हुआ है, उससे ऊपर हल्का बंद किसी कपडे  से लगाएं वैसे इसका कोई खास असर होता नहीं है. 
सर्प दंश के शिकार को बेहोशी या नींद जैसी स्थिति आ सकती है उसे जगा कर रखें और जल्द से जल्द किसी भी हॉस्पिटल में पहुचें 


रसेल वाइपर दंश के शिकार: (जहर हेमोटोक्सिक और न्यूरोटॉक्सिक का मिश्रण)

सर्प दंश के शिकारों में सबसे भयानक स्थिति रसेल वाइपर के जहर से हो जाती है, कटे के निशान तो सर्प के दन्त बड़े दांतों के कारन स्पष्ट होते ही हैं, साथ ही जहर की मात्रा भी भारी भरकम सर्प होने की वजह से ज्यादा होती है. इसलिए पीड़ित के शरीर में काफी मात्रा और हेमोटाक्सिक होने के कारण उसका हाथ या पैर जिसपर सर्प दंश हुवा है बुरी तरह सूज जाती है लगभग फटने जैसी स्थिति होती है. कभी कभी चिकित्सक उस पर दबाव कम करने के लिए चीरा भी लगा देते हैं. गैंग्रीन होने जैसी हालत हो जाती है. सही से इलाज मिल जाय तो पीड़ित को बचाया जा सकता है. किन्तु यदि व्यर्थ की झाड़फूंक में समय गवाँया जाय तो पीड़ित को बचाना मुश्किल हो जाता है. 

सॉ स्केल वाइपर के शिकार:(जहर हेमोटोक्सिक और न्यूरोटॉक्सिक का मिश्रण)

सर्प दंश के शिकारों में ये सबसे छोटा सर्प होता है, साथ ही जहर की मात्रा भी कम ही होती है. किन्तु साइज़ से धोखा न खाएं, छोटे से सर्प में काफी तेज जहर का कॉकटेल होने से दंश की जगह पर स्वेलिंग या सूजन आ जाती है. साथ ही दंश की जगह पर तेज़ दर्द होने लगता है. 
सिर्फ हॉस्पिटल ऐसी जगह है, जहाँ आपकी जान बच सकती है. 

क्या न करें :
  • दंश की जगह पर किसी तरह का कट न लगाएं
  • किसी तरह का बंद भी न लगाएं 
  • किसी भी स्थिति में जहर को चूसने की कोशश न करें 
  • व्यर्थ की भागदौड़ न करें ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक की स्थिति बन सकती है.
  • झाड़ फूंक से बचें और समय व्यर्थ करने से बचें। 
  • सर्प दंश के बाद सर्प के पीछे न भागें, उसे मारने की कोशिस से बचें।
  • खड़े न रहे, अति उत्तेजना से नुक्सान हो सकता है. 
  • यदि सर्प का मोबाइल से फोटो ले सकें तो उसे मारने से बेहतर होगा, डॉक्टर को समझ आ जायेगा किस सर्प ने डसा है, इलाज में आसानी होगी।  
सांपों से घरों को सुरक्षित कैसे करें ?

1- अधिकतर देखा गया है की सांप घरों में घुसने के लिए उन्ही रास्तों का उपयोग करते हैं जिससे हो कर घरों में चूहे घुसते हैं. या घरों में सांप, घर के साथ लगे पेड़ों या चारदीवारी से होते हुवे खिड़कियों के रास्ते भी आसानी से आ जा सकते हैं तो इन  रास्तों को चिन्हित कर के उन रास्तों को बंद कर दें, तथा घर में घुसने वाले मेन गेट या दरवाजे को भी देखें कहीं उसमें बड़े बड़े छेद या रास्ते तो नहीं हैं, साथ ही यदि गेट या दरवाजा पूरी तरह से बंद है किन्तु दरवाजे के नीचे उंगली के बराबर भी गेप है या दरवाजे के कब्जों या हिंजिस के पास तो गेप नहीं बन रहा है, तो इन सभी गेप या छेद या डिज़ाइन में बने दरवाजे के सभी छेदों को किसी भी शीट से बंद कर दें।  या दरवाजा ऐसा लगवाएं जिससे उसके अंदर छिपकली भी प्रवेश न कर सके. 

ये सब करने से भी यदि सांपों के आने की स्थिति में बदलाव न हो तो CCTV की मदद ली जा सकती है, पता करें ये छिपकली या सांप घुस कहाँ से रहे हैं, सबसे पहले उसे चिन्हित करें, और उसे तुरंत बंद कर दें. 
दरवाजा यदि हवादार रखना मजबूरी है तो उस पर स्टील की मच्छर जाली अच्छे से फिट करवाएं। 

2- घर यदि बड़ा है और उस में गार्डन भी है तो उसे भी साफ़ रखें, ज्यादा ऊंची घास में कीड़े मकोड़े आसानी से छिप सकते हैं, सफाई होने से सांपों को छुपने की जगह नहीं मिलेगी और वे कहीं और छिपने की कोशिस करेंगें। 
3- तीसरा सबसे आसान तरीका है घर को सुरक्षित करने के बाद, जमींन पर कभी न सोएं खास कर बच्चों को बेड पर सुलाएं। तथा  घर यदि ऐसी जगह पर है,जहाँ साँपों की बहुतायत है जैसा महाराष्ट्र, कर्नाटका, गोवा का सब अरबन इलाका, बिहार के अधिकतर सेमी अरबन शहर गांव कसबे, अपने घरों के आसपास कार्बोलिक एसिड /फेनोल/नेप्थ्लेलीन का छिड़काव करते रहें, किन्तु इन पदार्थो को बच्चों की पहुँच से दूर रखना जरूरी होता है, क्योकि ये पदार्थ सांप से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं. 

4- घरों में या घर के आस पास ऐसे स्थान न बनाएं जहाँ चूहे आराम से रह सकें, यदि आपके घरों में चूहे हैं तो सांप आपके घर में बिन बुलाये मेहमान बनने की कोशिस करते रहेंगे, क्योकि आपका घर उन्हें रहने की सुरक्षित जगह के साथ खाना भी मुहैया करा रहा होगा। 

5- यदि आपके घर में लकड़ी रखी है या पेड़ हैं तब भी आपका घर चिडिया गिलहरी आदि के लिए आदर्श होगा साथ ही सांपों के आने की सम्भावना भी बढ़ेगी। इन स्थियों में पेड़ों की काटछांट करते रहे और साफ़ सुथरी स्थिति बनाकर रखें। 

कार्बोलिक एसिड की खुशबू सांपों को रास नहीं आती वे इससे दूर जाने की कोशिस करते हैं किन्तु यदि ये केमिकल हाथ पर गिर जाये तो वहां की स्किन जल जाती है, सावधानी जरूरी है.
 
(डिस्क्लेमर: ये लेख भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले जहरीले सर्पों पर आधारित है और सिर्फ जानकारी देने के लिया बनाया गया है, व जंगली जीवों के सरक्षण में विश्वास करता है, केमिकल का प्रयोग जीवों के प्रति निर्दयता दिखता है, ध्यान रहे सांप सिर्फ एक रेप्टाइल जहरीला कीड़ा है, उसकी पूजा करना या उसे देवता मानना व्यर्थ है इसके जहर को आप किसी भी तरह की पूजा, झाड़फूंक से कम नहीं कर सकते, झाड़ - फूंक से पीड़ित की जान जाने की सम्भावना निश्चित हो जाती है.)