तीन नए क़ानून आज से हुवे लागू:
नई दिल्ली(01 जुलाई 2024)- IPC (इंडियन पीनल कोड)की जगह BNS (भारतीय न्याय संहिता )
पूरे देश में सोमवार से नए क्रिमिनल लॉ लागू हो गए हैं. जिसके चलते ब्रिटिश काल से चली आ रही, भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली है.इस नए कानूनों की सबसे खास बात ये है की जहाँ अपराध होगा वहीँ जा कर उसके खिलाफ FIR या रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में जा कर करनी पड़ती थी जिसकी वजह से पीड़ित को दोहरी वेदना झेलनी पड़ती थी एक तो उसके साथ अपराध हुवा उसकी, उसके बाद उसे एक थाने से दूसरे थाने दौड़ाया जाता था की अपराध किस थाने के एरिया में हुआ, साथ ही पुलिस की भी व्यवस्था कुछ ऐसी बन चुकि है की उन्हें पीड़ित से सहनुभूति नहीं होती और बहुत बार वे FIR या रिपोर्ट लिखने में भी आनाकानी करते नजर आ जाते हैं, इस परेशानी से आम जनता को, यदि ये कानून सही से लागू और व्यावहारिक हुवे तो, काफी आसानी हो जाएगी
अगले महीने की 15 तारीख यानि 15 अगस्त तक केंद्र शासित प्रदेशों में भी ये पूरी तरह से प्रयोग में आने लगेंगें। नए कानूनों में पहली प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को दी गई है।
इन कानूनों में आधुनिक से आधुनिक तकनीक को ना केवल अपनाया गया है। बल्कि ऐसा प्रावधान किया गया है कि अगले 50 सालों में भी आने वाली तकनीक भी इसमें समाहित हो सकें।
नए कानूनों में आज के समय के हिसाब से धाराएं जोड़ी गई हैं। कुछ धाराएं जो अप्रासंगिक थी, उन धाराओं को हटा दिया गया है। नए कानूनों में दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता मिलेगी। देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और जस्टिस मिलेगा।
कानूनी प्रक्रियाओं के पूरा होने की समय सीमा: इन कानूनों को इस तरह से बनाया गया है व् साथ ही FIR होने से लेकर उच्चतम न्यायलय तक सभी परीकिर्याओं को तीन साल के अंदर पूरा करना पड़ेगा, तारीख पे तारीख वाला सिस्टम अब ख़त्म करने की कोशिस हो रही है व् इसके लिए इन कानूनों में भी जो भी छोटेबड़े बदलाव की जरूरत पड़ी तो उन्हें भी आगे चल कर किया जायेगा।
क्या है ख़ास नए कानूनों में:
1- 7 साल या अधिक सजा केस में फोरेंसिक जांच अनिवार्य
2- मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया
मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए पहले के कानून में कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन इन कानूनों में पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया। उन्होंने कहा कि देशभर के 99.9 फीसदी पुलिस थाने कंप्यूटराइज हो चुके हैंसुझाव जो बने नए कानूनों के आधार :
गृह सचिव ने देश के सभी आईपीएस और जिला अधिकारियों से इस संबंध में सुझाव मांगे।
गृह मंत्री ने 158 बार इन कानूनों की समीक्षा बैठक की। इसके बाद गृह मंत्रालय की समिति के पास इन्हें भेजा गया।
तीन महीने तक इन पर गहन चर्चा के बाद कुछ राजनीतिक सुझावों को छोड़ते हुए 93 बदलावों के साथ इन बिलों को फिर से कैबिनेट ने पारित किया।