ISRAEL GAZA Ceasefire- Hamas Released 20 Hostage
“इजराइल-गाज़ा शांति समझौता 2025: 20 बंधक रिहा, पहले चरण की शुरुआत”
NB7-Gaza City, 13 अक्टूबर 2025: गाजा सिटी पर बंदूकें शांत
इज़राइल और हमास ने अमेरिका की मध्यस्थता में गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमति दी है। इस समझौते के तहत 20 जीवित इज़राइली बंधकों की रिहाई की जा रही है, और इज़राइल ने करीब 1,700+ फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने का वादा किया है।
शांति शिखर सम्मेलन और वैश्विक भागीदारी
13 अक्टूबर 2025 को मिस्र के शम अल-शेख में शांति शिखर सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में लगभग 30 देशों ने हिस्सा लिया।
संयुक्त घोषणा—“Trump Declaration for Enduring Peace and Prosperity”—पर हस्ताक्षर हुए।
हालांकि, इज़राइल और हमास के प्रतिनिधि इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए।
चुनौतियाँ और अनसुलझे मुद्दे
हमास ने शांति समझौते पर पूर्ण रूप से हथियार त्यागने से इंकार किया है, कहकर कि यह केवल तभी संभव होगा जब गाजा में एक स्वतंत्र और सम्माननीय राजनीतिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
इज़राइल ने हमास की सशस्त्र क्षमताओं को खत्म करने और सुरक्षा नियंत्रण बनाए रखने पर जोर दिया है।
मृत बंधकों की लाशों में से कई अभी तक वापस नहीं की गई हैं। Zee News+3Financial Times+3AP News+3
गाज़ा में विनाश बहुत व्यापक है — बुनियादी संरचनाएँ (आवास, अस्पताल, पानी व बिजली प्रणाली) बुरी तरह प्रभावित हैं। पुनर्निर्माण की ज़रूरत तात्कालिक है। Al Jazeera+5Zee News+5AP News+5
सुरक्षा और शासन व्यवस्था (कौन प्रशासन संभालेगा, हमास की भूमिका क्या होगी, अंतरराष्ट्रीय निगरानी) अभी भी विवादित हैं। Reuters+3CBS News+3Zee News+3
इज़राइल और फ़िलिस्तीन: किसे क्या मिला, किसने क्या खोया?
मध्य पूर्व का संघर्ष फिर एक बार खून, आँसू और राख में बदल गया।
2023 में हमास द्वारा किए गए अचानक हमले के बाद इज़राइल ने जिस पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की, उसने इतिहास की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदियों में से एक को जन्म दिया।
दोनों पक्ष “सफलता” के दावे करते हैं, मगर सच्चाई यह है कि इस जंग में कोई विजेता नहीं — सिर्फ़ हारे हुए हैं।
इज़राइल को क्या मिला:
शुरुआती दौर में इज़राइल ने सुरक्षा के नाम पर दुनिया से सहानुभूति पाई।
अमेरिका और यूरोप ने उसके “आत्मरक्षा” के अधिकार को समर्थन दिया और सैन्य सहायता भी दी।
लेकिन 7 अक्टूबर के हमले ने इज़राइल की अजेय सुरक्षा प्रणाली की छवि तोड़ दी।
1,200 नागरिकों की मौत ने देश को हिला दिया।
गज़ा में भारी बमबारी के बाद उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी सवाल उठे।
संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इज़राइल पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए।
नेतन्याहू की सरकार आंतरिक विरोध और राजनीतिक संकट में घिर गई।
फ़िलिस्तीन (हमास/गज़ा) को क्या मिला:
हमास का उद्देश्य फ़िलिस्तीनी मुद्दे को दुनिया के सामने लाना था — इसमें कुछ हद तक वह सफल रहा।
ग्लोबल मीडिया और जनता ने “Free Palestine” की आवाज़ बुलंद की।
दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और अरब देशों ने मानवीय समर्थन जताया।
लेकिन इसकी कीमत बहुत भारी रही —
40,000 से ज़्यादा नागरिक मारे गए, लाखों बेघर हुए, और गज़ा की अर्थव्यवस्था लगभग नष्ट हो गई।
स्कूल, अस्पताल, मस्जिदें मलबे में तब्दील हो गईं।
हमास की रणनीति ने फ़िलिस्तीनी राजनीतिक एकता को भी कमजोर किया।
निष्कर्ष:
इज़राइल ने अपनी सुरक्षा का संदेश तो दिया, लेकिन अपनी छवि और स्थिरता खो दी।
फ़िलिस्तीन ने सहानुभूति तो पाई, पर अपना घर फूंक कर।
दोनों ने जो पाया, वह क्षणिक था — और जो खोया, वह आने वाली पीढ़ियों की उम्मीदें हैं।
यह संघर्ष साबित करता है कि जंग कभी किसी के पक्ष में नहीं होती —
जीत अगर होती है, तो सिर्फ़ शांति की होती है।
भारत की प्रतिक्रिया:
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और ट्रम्प की शांति पहल का समर्थन व्यक्त किया।
कुछ राजनीतिक हस्तियों ने भारत सरकार की भूमिका और उसकी विदेश नीति पर प्रश्न उठाए हैं कि क्या भारत ने इस अवसर को पूरी तरह नहीं पहचाना। भारत सरकार का ढीला ढला रवैया और दूरदर्शिता इस अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में लगभग नदारद था।
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