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What is Per capita Income of India

GDP vs Per Capita Income of India

सकल घरेलू उत्पाद - प्रति व्यक्ति आय: एक विश्लेषण 

जीडीपी किसे कहतें हैं ?




जीडीपी का फ़ुल फ़ॉर्म है - सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product). यह किसी देश में किसी निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापने का एक तरीका है. जीडीपी को किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार और स्वास्थ्य का संकेतक माना जाता है.

जीडीपी  किसी देश की आर्थिक सेहत का सबसे महत्वपूर्ण संकेतक होता है। यह किसी विशेष अवधि (आमतौर पर एक वित्तीय वर्ष या तिमाही) के दौरान देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को दर्शाता है





जीडीपी के प्रकार :

जीडीपी को विभिन्न आधारों पर विभाजित किया जाता है:

1. वास्तविक (Real) जीडीपी: यह देश की अर्थव्यवस्था के उत्पादन को किसी आधार वर्ष की कीमतों (Constant Prices) पर मापता है।

महंगाई को ध्यान में रखते हुए इसे समायोजित किया जाता है, जिससे यह आर्थिक वृद्धि का सटीक चित्र प्रस्तुत करता है।

2. नाममात्र (Nominal) जीडीपी : यह वर्तमान बाजार मूल्य (Current Market Prices) पर गणना की जाती है।
इसमें महंगाई का समायोजन नहीं किया जाता, जिससे यह वास्तविक जीडीपी की तुलना में अधिक या कम हो सकती है।

3. प्रति व्यक्ति आय  (Per Capita  income by GDP ): यह प्रति व्यक्ति आय, जीडीपी को देश की कुल जनसंख्या से विभाजित करके निकाली जाती है।

इससे यह पता चलता है कि किसी देश के प्रत्येक नागरिक के हिस्से में औसतन कितनी आय आती है। यह सिर्फ अनुमान है, इससे प्रति व्यक्ति की वास्तविक आय का पता नहीं चलता, न ही उसके बैंक खाते में इतने रूपये पहुंचते हैं .  

उदाहरण: यदि एक बस में 50 यात्री हैं और सबकी अलग अलग आय को जोड़ा जाय, और  यदि वह रूपये 1000000/- या एक लाख है तो 100000/50 = 2000 रूपये प्रति व्यक्ति आय का अनुमान लगता है, किन्तु वास्तविक रूप में यदि इनमें से एक व्यक्ति की कुल आय सबसे अधिक या 50000 हो उस स्थिति में भी अन्य यात्रियों के बराबर ही आंकी जायगी जबकि अन्य यात्रियों की आय 1020 तक ही आती है .

  

4. जीडीपी पीपीपी (GDP at Purchasing Power Parity - PPP): यह विभिन्न देशों की मुद्राओं की क्रय शक्ति की तुलना करने के लिए प्रयुक्त होती है।

इसमें विभिन्न देशों की वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को एक मानक आधार पर आंका जाता है।
जीडीपी की गणना के तरीके

जीडीपी की गणना तीन प्रमुख विधियों से की जाती है:

1. उत्पादन विधि (Production Method)

इस विधि में किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को जोड़ा जाता है।

2. व्यय विधि (Expenditure Method)

इसमें निम्नलिखित मदों को जोड़कर जीडीपी निकाली जाती है:GDP=C+I+G+(X−M)GDP = C + I + G + (X - M)GDP=C+I+G+(X−M)

जहाँ,C = उपभोग व्यय (Consumption Expenditure)
I = निवेश (Investment)
G = सरकारी व्यय (Government Expenditure)
(X - M) = निर्यात (Exports) - आयात (Imports)

3. आय विधि (Income Method)

इसमें देश के नागरिकों द्वारा अर्जित कुल आय को जोड़ा जाता है, जिसमें मजदूरी, लाभ, किराया और ब्याज शामिल होते हैं।

जीडीपी का महत्वअर्थव्यवस्था का बैरोमीटर – जीडीपी किसी देश की आर्थिक सेहत को दर्शाती है।

नीतिगत निर्णयों में सहायक – सरकार और केंद्रीय बैंक (जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक) आर्थिक नीतियाँ बनाने में जीडीपी डेटा का उपयोग करते हैं।

विदेशी निवेश आकर्षण – उच्च जीडीपी ग्रोथ विदेशी निवेशकों को आकर्षित करती है।

रोजगार के अवसर – मजबूत जीडीपी वृद्धि का मतलब अधिक रोजगार के अवसर होते हैं।
भारत की जीडीपी (GDP of India)

भारत की जीडीपी मुख्य रूप से चार क्षेत्रों से मिलकर बनती है:कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) – फसल उत्पादन, डेयरी, मत्स्य पालन आदि।

उद्योग क्षेत्र (Industry Sector) – विनिर्माण, खनन, बिजली उत्पादन आदि।

सेवा क्षेत्र (Service Sector) – आईटी, बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन आदि।

निर्यात और आयात (Exports & Imports) – व्यापार संतुलन का जीडीपी पर प्रभाव पड़ता है।